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Minority Pre-matric Scholarship 2015-16
विराम चिह्न विराम का अर्थ है- 'रुकना' या 'ठहरना'। वाक्य को लिखते अथवा बोलते समय बीच में कहीं थोड़ा-बहुत रुकना पड़ता है जिससे भाषा स्पष्ट, अर्थवान एवं भावपूर्ण हो जाती है। लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिह्नों का प्रयोग करते हैं। इन्हें ही विराम चिह्न कहा जाता है। भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग वाक्य के बीच या अंत में किया जाता है, उन्हें विराम चिह्न कहते हैं; जैसे 1.रोको मत जाने दो। 2.रोको, मत जाने दो। उपर्युक्त उदाहरणों में पहले वाक्य में अर्थ स्पष्ट नहीं होता, जबकि दूसरे और तीसरे वाक्य में अर्थ तो स्पष्ट हो जाता है लेकिन एक दूसरे का उल्टा अर्थ मिलता है जबकि तीनों वाक्यों में वही शब्द हैं। दूसरे वाक्य में 'रोको' के बाद अल्पविराम लगाने से रोकने के लिए कहा गया है जबकि तीसरे वाक्य में 'रोको मत' के बाद अल्पविराम लगाने से किसी को न रोक कर जाने के लिए कहा गया है। इस प्रकार विराम-चिह्न लगाने से दूसरे और तीसरे वाक्य को पढ़ने में तथा अर्थ स्पष्ट करने में जितनी सुविधा होती है उतनी पहले वाक्य में नहीं होती। अतएव विराम-चिह्नों के विषय में पूरा ज्ञान होना आवश्यक है। हिन्दी में मुख्यत: तीन तरह के विराम चिह्नों का प्रयोग किये जाते हैं- 1. पूर्ण विराम (।) 2. अर्द्धविराम (;) 3. अल्पविराम (,) |
क्रम | नाम | विराम चिह्न | क्रम | नाम | विराम चिह्न | |
1 | पूर्ण विराम या विराम | (।) | 7 | (-) | ||
2 | अर्द्धविराम | (;) | 8 | [()] | ||
3 | अल्पविराम | (,) | 9 | (^) | ||
4 | (?) | 10 | रेखांकन | (_) | ||
5 | (!) | 11 | लाघव चिह्न | (·) | ||
6 | ("") (' ') | 12 | (...) |
सच्चा चिकित्सक सारी दुनिया को अपना परिवार मानते हैं | |
चिकित्सा क्षेत्र में नैतिक मूल्यों को बनाए रखना है। | |
डॉ. कुमार का चरित्र-चित्रण तैयार किया है। | |
मरने के बाद भी कुछ लोग काम आते हैं- टिप्पणी तैयार की है। | |
देवदास की डायरी लिखी है। | |
विरामचिह्नों का परिचय पाया है। | |
विभिन्न लिंगों में प्रयुक्त समानार्थी शब्दों का प्रयोग पहचान लिया है। | |
अनुवाद कार्य किया है। |
ചികിത്സാരംഗത്തുനിന്ന് നൈതികത അപ്രത്യക്ഷമാകുമ്പോഴും സമൂഹത്തിന് മാര്ഗ്ഗദീപമാകുന്ന ചില വ്യക്തിത്വങ്ങള് അവിടെ നിലനില്കുന്നുണ്ട്.പുനത്തില് കുഞ്ഞബ്ദുള്ളയുടെ മരുന്ന് എന്ന് നോവലിന്റെ നാലാം അദ്ധ്യായത്തിന്റെ വിവര്ത്തനത്തില് നിന്നുള്ള ഈ പാഠഭാഗത്ത് നാം പരിചയപ്പെടുന്ന പ്രൊഫസര് ഡി കുമാര് എന്ന കഥാപാത്രം അത്തരമൊരു കഥാപാത്രമാണ്.അസാധാരണമായ വ്യക്തിപ്രഭാവം കൊണ്ടും കാഴ്ചപ്പാടുകള് കൊണ്ടും അദ്ധേഹം തന്റെ വിദ്യാര്ത്ഥികളുടെ ആദരം നേടിയെടുക്കുന്നത് നമുക്കിവിടെ കാണാം |
दिन : ........ तारीख : ........ आज का दिन अविस्मरणीय है । मेडिकल कॉलेज का पहला दिन। एनॉटमी हॉल में प्रो. डी. कुमार से मिला । वहाँ से डिसेक्शन हॉल पहुँचा। फार्मेलिन की तीखी गंध नाक में घुस गई। मेज़ पर लाशें पड़ी थीं। इतने नज़दीक लाशों को देखना पहला था । बिलकुल डर गया। फिर अपने को संभाला। लक्ष्मी मेरी सहयोगी थी। हमें लाश का एक हाथ मिला।फिर तरह-तरह के औजार हाथ में ले लिया। प्रोफेसर आए।मरने के बाद भी हमारी सेवा करने-वालों के बारे में कहा। कितना आकर्षक था उनकी कक्षा। बहुत अच्छा लगा। आज से एक नई दुनिया में.......नए मित्रों के साथ। |
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