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प्रिय डॉक्टेर्स - भाग १

 
ചികിത്സാരംഗത്തുനിന്ന് നൈതികത അപ്രത്യക്ഷമാകുമ്പോഴും സമൂഹത്തിന് മാര്‍ഗ്ഗദീപമാകുന്ന ചില വ്യക്തിത്വങ്ങള്‍ അവിടെ നിലനില്കുന്നുണ്ട്.പുനത്തില്‍ കുഞ്ഞബ്ദുള്ളയുടെ മരുന്ന് എന്ന് നോവലിന്റെ നാലാം അദ്ധ്യായത്തിന്റെ വിവര്‍ത്തനത്തില്‍ നിന്നുള്ള ഈ പാഠഭാഗത്ത് നാം പരിചയപ്പെടുന്ന പ്രൊഫസര്‍ ‍ഡി കുമാര്‍ എന്ന കഥാപാത്രം അത്തരമൊരു കഥാപാത്രമാണ്.അസാധാരണമായ വ്യക്തിപ്രഭാവം കൊണ്ടും കാഴ്ചപ്പാടുകള്‍ കൊണ്ടും അദ്ധേഹം തന്റെ വിദ്യാര്‍ത്ഥികളുടെ ആദരം നേടിയെടുക്കുന്നത് നമുക്കിവിടെ കാണാം

"प्रिय डॉक्टर्स" मलयालम के मशहूर उपन्यासकार पुनत्तिल कुंञब्दूल्ला के उपन्यास "मरुन्नु" के हिंदी अनुवाद "दवा" से लिया गया है। आजकल के डॉक्टरों में कुछ लोग अनेतिक एवं अमानवीय व्यवहारों से मरीज़ों को तंग किया करते हैं। घूसखोरी, मुनाफाखोरी जैसे भ्रष्टाचार पूरे डॉक्टर - समाज को बदनाम कर देते हैं।  
മരുന്ന്‌
പുനത്തില്‍ 
കുഞ്ഞബ്‌ദുളള
ഞരക്കങ്ങളുടെയും ദീനരോദനങ്ങളുടെയും അലകളുയരുന്ന ജീവിതത്തിന്റെ ഇരുണ്ട കോണുകളെ വലംവയ്‌ക്കുന്ന ഈ നോവല്‍ മരണത്തെ സൗന്ദര്യതലത്തില്‍ ഉദാത്തീകരിക്കുന്നു. മൃത്യുവും മരുന്നും തമ്മിലുളള സന്ധിയില്ലാ സമരത്തില്‍നിന്നു രൂപംകൊളളുന്ന ഈ കൃതിയില്‍ സ്വന്തം പ്രവര്‍ത്തന മണ്ഡലത്തില്‍നിന്ന്‌ ഡോ. പുനത്തില്‍ കുഞ്ഞബ്‌ദുളള ശ്രദ്ധാപൂര്‍വ്വം ഒപ്പിയെടുത്ത പുതിയജീവിത സ്‌പന്ദനങ്ങളാണുളളത്‌. ഭിഷഗ്വരവൃത്തിയുടെ കാണാപ്പുറങ്ങള്‍ അനാവരണം ചെയ്യുന്ന മരുന്ന്‌ മലയാളനോവലുകളുടെ കൂട്ടത്തില്‍ ഒറ്റപ്പെട്ട ഔന്നത്യമായി നിലകൊളളുന്നു
समस्या क्षेत्र : स्वास्थ्य व सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव।
समस्यापरक : चिकित्सा विज्ञान के नैतिक मूल्यों से परिचय पाना।
भाषापरक : उपन्यास की भाषा-शैली से परिचय पाना। समकालीन समस्या पर टिप्पणी तैयार करना।
सहायक सामग्री : मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस. सिनेमा सी.डी. (डॉक्टर का भाषण), विराम चिह्न का चार्ट ।, डायरी का नमूना ।


पहला अंतर
मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस. सिनेमा सी.डी. (डॉक्टर का भाषण) दिखाएँ।
फिर प्रश्न पूछें -
``` ? सी.डी. में डॉक्टर कुमार अपने छात्रों से, मरीज़ों से कैसा व्यवहार करने को कहते हैं ?
? एक आदर्श डॉक्टर कैसा होना चाहिए ?
  • समकालीन चिकित्सा क्षेत्र में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। मरीज़ शोषण का शिकार बन जाते हैं। लेकिन कुछ आदर्श डॉक्टर भी हैं जो मानव-सेवा समाज-सेवा मानकर अपने आप को समर्पित करते हैं। "प्रिय डॉक्टर्स" ऐसे एक आदर्श डॉक्टर का परिचय देता है।
    प्रिय डॉक्टर्स का वाचन:
    (सफेद..............................यह सब करता हूँ।) 
    वाचन प्रक्रिया
    उपरोक्त सूचित पाठभाग का वाचन करें। ( वाचन प्रक्रिया ) छात्र सस्वर वाचन। वाचन का आकलन।
    वाचन प्रक्रिया का निर्धारण करें ।
    आशय ग्रहण के लिए सहायक प्रश्न पूछें -
    ? "अधिकांश चेहरों पर घबराहट है।" यह किनके बारे में कहा गया है?
    ? "ऐसी ही होती हैं वे। नरक में भी वे फुसफुसाती और हँसती हैं।" लेखक के अनुसार कौन नरक में भी फुसफुसाती हैं?
    ? डिसेक्शन हॉल के अंदर क्या-क्या थे?
    ? मेज़ पर काँच के मर्तबानों में क्या-क्या रखे गए थे?
    ? मर्तबान को देखकर देवदास ने क्या सोचा?
    ? प्रो. डी. कुमार कैसे व्यक्ति थे?
    ? प्रो. कुमार कैसे निरीक्षण करते थे?
    ? प्रो. कुमार छात्रों को डॉक्टर ही कहकर क्यों बुलाते थे?
    ? "याद रहे कि सारी दुनिया ही एक डॉक्टर का परिवार है। वसुधा ही कुटुंब है।" ऐसा कहने का मतलब क्या है?
    ? डॉक्टर को मरीज़ों से कैसा व्यवहार करना है?
    ? प्रो. कुमार के अनुसार डॉक्टरों से किस तरह की नैतिकता की उम्मीद की जाती है?
  • बच्चो, भविष्य में आप कौन बनना चाहते हैं ? क्यों?
    टिप्पणी तैयार करें ।
    अगला अंतर
  • आप की राय में सच्चे डॉक्टर की विशेषताएँ क्या-क्या हैं?
पिछले दिन के गृहकार्य की आपसी चर्चा ।
चुनिंदे उपजों की प्रस्तुति ।
स्वयं संशोधन का अवसर भी देता है ।
वाचन प्रक्रिया -
( वे भावावेश....................देवदास को हाथ मिला है। )
वाचन प्रक्रिया
छात्र का सस्वर वाचन। वाचन का आकलन।
वाचन प्रक्रिया का निर्धारण करें ।
आशय ग्रहण के लिए सहायक प्रश्न पूछें -
? रोग और रोगमुक्ति के बारे में डॉ. कुमार का कौन-सा दृष्टिकोण यहाँ प्रकट होता है ?
? मरने के बाद भी कुछ लोग समाज के लिए काम आते हैं। कैसे ?
? प्रो.डी. कुमार अपने छात्रों को डॉक्टर कहकर पुकारते थे। क्यों ?
? सभी लोगों से एक डॉक्टर का व्यवहार कैसा होना चाहिए ?
  • प्रो. कुमार की चरित्रगत विशेषताओं पर एक टिप्पणी लिखें।
लेखन प्रक्रिया
सहायक बिंदु
 * प्रेफ़ेसर के रूप में कार्यरत * आस्तिक 
* "पूरी वसुधा ही परिवार है"- माननेवाले
चिकित्सा की नैतिकता पर बल देनेवाले
अगला अंतर
(देवदास की सहयोगी..................शुभकामनाएँ।)
उपरोक्त सूचित पाठभाग का वाचन करें। ( वाचन प्रक्रिया )
वाचन प्रक्रिया
छात्र सस्वर वाचन। वाचन का आकलन।
वाचन प्रक्रिया का निर्धारण करें ।
आशय ग्रहण के लिए सहायक प्रश्न पूछें -
? देवदास की सहयोगी कौन थी?
? "डिसेक्शन हॉल में जान आ गई।" कैसे?
? प्रभू ने इन्हें हमारी मदद केलिए भेजा है। किन्हें?
  • "मरने के बाद भी कुछ लोग समाज के लिए काम आते हैं।" - इस पर टिप्पणी लिखें।
लेखन प्रक्रिया।
इन्हें भी इस्तेमाल करें -
  • मरने के बाद भी औरों के लिए उपयोगी बनना।
  • मानव को सही रास्ते पर चलाना।
  • अपने आप दूसरों को समर्पित करना
  • शरीर के अंग दान करना ।
* वैयक्तिक रूप से लिखें * दल में प्रस्तुति * प्रस्तुति पर चर्चा। * दल में परिमार्जन * दलों द्वारा प्रस्तुति। * अध्यापक की अपनी प्रस्तुति।
  • देवदास डिसेक्शन हॉल के अनुभवों को अपनी डायरी में लिखने लगा। डायरी कल्पना करके लिखें।
लेखन प्रक्रिया।.
सहायता लें:
डायरी
डिसेक्शन हॉल में पहला दिन हॉल की बदबू
टंकी और मेज़ों पर लाशें डॉ. कुमार का भाषण
लाशों से व्यवहार
अध्यापक की अपनी प्रस्तुति।
दिन    : ........
तारीख : ........
आज का दिन अविस्मरणीय है । मेडिकल कॉलेज का पहला दिन। एनॉटमी हॉल में प्रो. डी. कुमार से मिला । वहाँ से डिसेक्शन हॉल पहुँचा। फार्मेलिन की तीखी गंध नाक में घुस गई। मेज़ पर लाशें पड़ी थीं। इतने नज़दीक लाशों को देखना पहला था । बिलकुल डर गया। फिर अपने को संभाला। लक्ष्मी मेरी सहयोगी थी। हमें लाश का एक हाथ मिला।फिर तरह-तरह के औजार हाथ में ले लिया। प्रोफेसर आए।मरने के बाद भी हमारी सेवा करने-वालों के बारे में कहा। कितना आकर्षक था उनकी कक्षा। बहुत अच्छा लगा। आज से एक नई दुनिया में.......नए मित्रों के साथ।

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