ज्ञान की वर्णमाला के एक-एक अक्षर
उसी तरह शिक्षक ने हमारे मुँह में डाले,
जिस तरह माँ ने रोटी के निवाले |
माँ आँचल में छिपाए रखना चाहती थी,
शिक्षक दुनिया से मुक़ाबला करवाते हैं,
माँ कभी परीक्षा नहीं लेती,
ताकि हम हार न जाएँ |
शिक्षक बार-बार परीक्षाएँ लेते हैं,
ताकि हम जीत के क़ाबिल बन पाएँ |
माँ कहती रही दूर ना जाना, गिर जाओगे,
शिक्षक कहते बेशक़ गिरो; पर बार-बार खूब दूर जाना,
तब ही तो प्रगति करोगे |
एक दिन सम्भल जाओगे, इस तरह जीवन की हर राह में,
हम जीत हासिल कर सके,मुश्क़िलों से लड़ सके,
साथ ही यहाँ तक प्रगति कर सके,
यह सिखाने वाले होते हैं हमारे शिक्षक |
जो कभी भुलाए नहीं जाते हैं,
और सीखने-सिखाने की बात हो, तो उम्र भर याद आते हैं।
उसी तरह शिक्षक ने हमारे मुँह में डाले,
जिस तरह माँ ने रोटी के निवाले |
माँ आँचल में छिपाए रखना चाहती थी,
शिक्षक दुनिया से मुक़ाबला करवाते हैं,
माँ कभी परीक्षा नहीं लेती,
ताकि हम हार न जाएँ |
शिक्षक बार-बार परीक्षाएँ लेते हैं,
ताकि हम जीत के क़ाबिल बन पाएँ |
माँ कहती रही दूर ना जाना, गिर जाओगे,
शिक्षक कहते बेशक़ गिरो; पर बार-बार खूब दूर जाना,
तब ही तो प्रगति करोगे |
एक दिन सम्भल जाओगे, इस तरह जीवन की हर राह में,
हम जीत हासिल कर सके,मुश्क़िलों से लड़ सके,
साथ ही यहाँ तक प्रगति कर सके,
यह सिखाने वाले होते हैं हमारे शिक्षक |
जो कभी भुलाए नहीं जाते हैं,
और सीखने-सिखाने की बात हो, तो उम्र भर याद आते हैं।
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