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Sunday, 1 December 2013

"जुठन"कार ओमप्रकाश वाल्मिकी को श्रध्दाजंली

चुल्हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब की
तालाब ठाकुर का।
भुख रोटी की,
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का,
खेत ठाकुर का।
बैल ठाकुर का
हल ठाकुत का
हल की मुठ पर हथेली
अपनी फसल ठाकुर की।
कुआँ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत खलिहान ठाकुर के
गली मोहल्ले ठाकुर के।
फिर अपना क्या गांव?
शहर?

देश?

(ओमप्रकाश वाल्मिकी)

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