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Wednesday, 7 August 2013

सेहत की राह पर


ഡോക്ടര്‍ എന്നത് വെറുമൊരു തൊഴിലിനപ്പുറം വെല്ലുവിളിയുയര്‍ത്തുന്ന ഒരു വാക്കുപാലിക്കലാണ്.എന്നാലിന്ന് ചികിത്സാരംഗത്തെ വര്‍ദ്ധിച്ചുവരുന്ന കച്ചവടമനസ്ഥിതി നമ്മെ ആശങ്കപ്പെടുത്തുന്നു.രോഗിയുടെ ആരോഗ്യസ്ഥിതിയേക്കാള്‍ പണം കൈക്കലാക്കാനായി എന്തെല്ലാം ടെസ്റ്റുകള്‍ ചെയ്യിക്കാനാകും എന്നതിലാണ് ആശുപത്രികളുടെയും ഡോക്ടര്‍മാരുടെയും ശ്രദ്ധ.എങ്കിലും ആശക്ക് വകയുണ്ടെന്ന് നമ്മെ ഓര്‍മ്മപ്പെടുത്തുമാറ് ചില വ്യക്തിത്വങ്ങള്‍ ആദര്‍ശധീരങ്ങളായ പ്രവൃത്തികളിലൂടെ സമൂഹത്തിന് വഴികാട്ടികളാകുന്നു.വരും തലമുറയെ ശരിയായ പാതയിലൂടെ നയിക്കാനുതകുന്ന പാഠസന്ദര്‍ഭങ്ങളാണ് ഈ യൂണിറ്റിലുള്ളത്
इस इकाई में स्वास्थ्य व सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अभाव की चर्चा की है। साथ ही इस क्षेत्र में वाँछनीय नैतिक मूल्यों पर भी बल दिया गया है। इस इकाई में "बाबूलाल तेली की नाक" नामक व्यंग्य कहानी, चिकित्सा क्षेत्र में वाँछनीय नैतिक मूल्यों पर चर्चा करनेवाली "प्रिय डॉक्टर्स" नामक उपन्यास-अंश, समाजसेवा में समर्पित डॉ. वी. शान्ता के साथ साक्षात्कार "महत् उद्देश्य की प्रतिमा", समाज के लिए जीने-मरने का आह्वान देनेवाली कविता "मनुष्यता", गंदगी की भयावहता स्पष्ट करनेवाला कार्टूण, चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित पारिभाषिक शब्दावली और "तारे ज़मीन पर" फिल्म की समीक्षा आदि निहित हैं।
इस इकाई से परिचय पाएँ:-

  • चिकित्सा-क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचारों से ।
  • चिकित्सा विज्ञान के नैतिक मूल्यों से ।
  • निस्वार्थ रूप से समाज-सेवा में लगे व्यक्तियों का ।
  • मानव जीवन की सार्थकता का ।
  • व्यंग्य कहानी में प्रयुक्त मुहावरेदार भाषा-शैली, प्रयोग आदि से  ।
  • उपन्यास की भाषा-शैली से ।
  • साक्षात्कार के लिए अनुरूप भाषा प्रयोग से ।
  • सिनेमा या वृत्तचित्र की समीक्षा लिखने की भाषा का परिचय पाएँ ।
  • समकालीन घटना पर आधारित रपट के लिए अनुरूप वस्तुनिष्ठ एवं सहज भाषा का ।
  • समकालीन समस्या पर आधारित संपादकीय की भाषा शैली का ।
इस इकाई से ये क्षमताएँ भी पाएँ :-
  • समसामयिक समस्याओं पर तीखा प्रहार करनेलायक शब्द, चित्र एवं चुटीली भाषा का प्रयोग करके कार्टून तैयार करने की ।
  • आधुनिक कविता की आस्वादन टिप्पणी तैयार करने की ।
  • महान व्यक्ति की जीवनी का अंश तैयार करने की ।
  • स्वाभाविक एवं आत्मनिष्ठ भाषा में डायरी तैयार करने की ।
  • सर्वनामों के साथ कारक चिह्नों के प्रयोग करने की ।
  • विभिन्न भूतकालिक रूप, प्रश्नवाचक शब्द, विस्मयादिबोधक शब्द और विरामचिह्नों के उचित प्रयोग करने की
  • संज्ञा शब्दों के लिंग भेद के आधार पर संबंध कारक में होनेवाले परिवर्तन की अवधारणा ।
  • विरामचिह्नों का सही प्रयोग समझने की ।
  • अनुवाद करने की ।

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