Thursday, 22 September 2016
Monday, 12 September 2016
VIII Hin Qn Aug 2016 Ans
VIII
Hin Qn Aug 2016 Ans
1-3
कविता
के आधार पर उत्तर
1.
कविता
परिसर साफ़ रखने की बात कहती
है। 1
2.
'वर्षा
के पानी का संचयन करके जल का
संरक्षण करो'-
आशयवाली
पंक्तियाँ
चुनकर लिखें। 2
वर्षा
से तालों को भर दो
जल
का करो बचाव।
3.
कविता
के आशय को टिप्पणी के रूप में
लिखें, शीर्षक
भी लिखें। 4
जल
का करो बचाव
बदलाव
नामक यह कविता वर्षा जल के
संचयन पर बल देती है। कवि पाठकों
को वर्षा जल को संचित करके
उसका उपयोग करने का उपदेश देते
हैं।
कवि
कहते हैं कि कूड़ा-कचड़ा
इधर-उधर
न फेंककर उसे सही जगह पर डालना
चाहिए। ऐसा करने से हमारा
परिसर साफ रहता है। पानी को
बरबाद करना बड़ा अपराध होता
है। हमें पानी का उपयोग सावधानी
से करना चाहिए। पानी व्यर्थ
बहानेवालों को कभी भी माफ़
नहीं करना चाहिए। बारिश का
जल बड़ा वरदान होता है। वह
पानी व्यर्थ बहाया जाता है।
वास्तव में हमें उस पानी का
उपयोग करना है। ऐसा करने से
जल की दुर्लभता की समस्या
जल्दी दूर हो जाएगी। ऐसी
छोटी-छोटी
बातों पर ध्यान देने पर समाज
और देश में बहुत बड़ा बदलाव
आता है।
पानी
की कमी समाज में एक भयंकर समस्या
है। विश्व भर में उस समस्या
का बड़ा प्रभाव है। यह कविता
पाठकों को,
विशेषतः
बच्चों और युवकों को पानी का
दुरुपयोग न करने और बारिश के
पानी का संचयन करने का उपदेश
देती है। अतः यह कविता बिलकुल
प्रासंगिक और अच्छी है।
(बरबाद
करना : ദുരുപയോഗം
ചെയ്യുക सावधानी से :
ശ്രദ്ധയോടെ
व्यर्थ : അനാവശ്യമായി प्रासंगिक : പ്രസക്തം)
व्यर्थ : അനാവശ്യമായി प्रासंगिक : പ്രസക്തം)
अथवा
परिसर
को साफ रखना है -
पोस्टर। 4
कूड़ा-कचड़ा
इधर-उधर
न फेंको।
कूड़ादान
का उपयोग करो।
गंदगी
फैलने से-
मक्खी-मच्छर
आते हैं!
कीटाणुओं
की संख्या बढ़ती है!!
महामारियाँ
फैल जाती हैं!!!
हमारी
समाज
की
राष्ट्र
की - भलाी
के लिए
परिसर
को साफ रखें,
देश को
स्वच्छ रखें।
(कूड़ादान
: കുപ്പത്തൊട്ടി
मक्खी-मच्छर
: ഈച്ച,
കൊതുക്
महामारियाँ : പകര്ച്ചവ്യാധികള്)
महामारियाँ : പകര്ച്ചവ്യാധികള്)
4-5
गद्यांश
के आधार पर उत्तर
4.
पिता
ने अठारह मील की दूरी पैदल
जलने का निश्चय किया। 1
5.
पिताजी
के व्यवहार पर अरुण गाँधी की
डायरी। 4
तारीखः.....................
आज
मुझे कार लेकर पिताजी के साथ
शहर जाने का अवसर मिला। पिताजी
को शाम तक की एक मीटिंग थी।
माताजी ने सामान खरीदने के
लिए लंबी लिस्ट भी दी थी। पिताजी
को मीटिंग की जगह छोड़कर,
सारे
सामान खरीदे और गाड़ी सर्विस
के लिए दी। जल्दी ही एक सिनेमाघर
में घुसी जहाँ जॉन बेन की एक
दिलचस्प फिल्म देखते-देखते
समय का ध्यान न रहा। जब ध्यान
आया समय साढ़े पाँच बज चुके
थे। जल्दी ही गैरेज से कार
लेकर पिताजी के पास पहुँचने
पर समय छह बजे। पिताजी बेसब्री
से मेरा इंतज़ार कर रहे थे।
उन्होंने कारण पूछा। मैं झूठ
बोला कि कार तैयार नहीं थी।
पिताजी को पता था कि कार समय
पर तैयार हो गई थी। उन्होंने
कहा कि तुम्हें बड़ा करने में
मेरी ओर से कुछ गड़बड़ी हुई
है। इसलिए मैं यहाँ से घर तक
का दूर पैदल चलूँगा। पिताजी
ने चलना शुरू किया। मेरी गलती
पर पिताजी स्वयं सजा भोग रहे
थे। रात को अठारह मील तक पिताजी
के पीछे-पीछे
गाड़ी धीमी गति से चलाकर घर
पहुँचा। यह घटना मुझपर गहरा
असर डालनेवाला है। मैंने
संकल्प लिया है कि आगे मैं कभी
भी झूठ नहीं बोलूँगा। आज का
दिन एक विशेष दिन रहा।
(सजा
भोगनाः ശിക്ഷയനുഭവിക്കുക
धीमी गति सेः മന്ദഗതിയില്
असर डालनाः സ്വാധീനിക്കുക
संकल्पः ദൃഢനിശ്ചയം)
6-8
गद्यांश
के आधार पर उत्तर
6.
तीनों
राजकुमारों के बीच बहस होता
है कि 'कौन
सबसे बड़ा ज्ञानी है'। 1
7.
राजकुमारों
के चरित्र के लिए अहंकार
अधिक सही लगता है। 1
8.
ज्ञानमार्ग
एकांकी के राजकुमारों के
चरित्र पर टिप्पणी और शीर्षक 3
विद्या
से विनय होना है
तीनों
राजकुमारों ने गुरु से ज्ञान
प्राप्त किया था। ज्ञानार्जन
करके अपने-अपने
घर वापस चलते समय उनमें बहस
होता है कि कौन बड़ा ज्ञानी
है। विद्या प्राप्त करते समय
विनय होना स्वाभाविक माना
जाता है। इन राजकुमारों में
अहंकर की अधिकता है,
इसीलिए
तीनों में बड़ा बहस चलता है।
अपने ज्ञान का प्रदर्शन करने
के लिए ये राजकुमार शेर की
हड्डी को शेर बनाते हैं। याने
अपने ही अस्तित्व पर कुल्हाड़ी
मारते हैं। याने उनका ज्ञानार्जन
सफल नहीं है। अंत में गुरु आकर
शेर को बकरी बना देते हैं।
नहीं तो उनका ज्ञान उनके ही
अंत का कारण बननेवाला था।
(अपने
ही अस्तित्व पर कुल्हाड़ी
मारनाः സ്വന്തം നിലനില്പിനെ
ഇല്ലാതാക്കുക)
9-11
कविता
के आधार पर उत्तर
9.
कवितांश
में 'रात-दिन'
आशयवाला
शब्द-जोड़ा
'निशा-दिवा'
है।
1
10.
कविता
में 'दुख'
की
विशेषता सूचित करने के लिए
'अविरत'
शब्द
का
प्रयोग किया है। 1
प्रयोग किया है। 1
11.
कवितांश
पर टिप्पणी 3
अविरत
दुख तो उत्पीड़न होता है,
लेकिन
अविरत सुख कैसे उत्पीड़न होता
है। ऐसा विचार लोगों के मन में
उठने की संभावना है। कवि कहते
हैं कि हमें इस धरती पर जीते
समय सदा सुख ही पाना संंभव
नहीं, याने
ऐसा उम्मीद करना ठीक नहीं
होगा। जिस प्रकार रात के बाद
दिन, दिन
के बाद रात का क्रम होता है
उसी प्रकार सुख-दुख
का क्रम होता है। दुख के बाद
सुख होते समय वह ज्यादा सुखदायक
होता है। हमें इस धरती पर ही
स्वर्ग की कामना नहीं करना
चाहिए। (धरती
पर स्वर्ग की कामना करनाः
ഭൂമിയില് സ്വര്ഗ്ഗം ആശിക്കുക)
12-15
किन्हीं
तीन के उत्तर लिखें।
12.
सभी
शिक्षक भी हैं और विद्यार्थी
भी- बीरबल
के इस कथन पर विचार 2
इस
दुनिया के हर व्यक्ति में
कुछ-न-कुछ
विशेष क्षमता होती है। याने
हर व्यक्ति अन्य व्यक्तियों
से भिन्न होता है। ज्ञानार्जन
की प्रक्रिया हमारी जिंदगी
भर चलती रहती है। हम विभिन्न
स्रोतों से ज्ञान बढ़ाने का
प्रयास करते हैं। अकबर बादशाह
के दरबार में जितने लोगों को
बीरबल लाए थे,
सब अपने
में विशेष क्षमता रखनेवाले
थे। उनमें से प्रत्येक व्यक्ति
किसी विशेष क्षमता दूसरों को
सिखा सकता है।
13.
ज्ञानमार्ग
एकांकी में राजकुमार 1
कहता
है कि मेरे पिता बड़े ज्ञानी
हैं और उनका पुत्र होने के
नाते मैं बड़ा ज्ञानी हूँ।
ऐसा कोई नियम नहीं है कि ज्ञानी
पिता का पुत्र हमेशा ज्ञानी
होता है। कभी-कभी
इसका ठीक उल्टा भी होता है।
(ठीक
उल्टाः നേരെ മറിച്ച്)
14.
नमूने
के अनुसार तालिका की पूर्तिः 2
हड्डियाँ पड़ी दिखाई देती हैं हड्डियाँ पड़ी दिखाई देती थीं बहिन शहर जाने के इंतज़ार में रहती है बहिन शहर जाने के इंतज़ार में रहती थी पिताजी के पीछे-पीछे कल चलाता है पिताजी के पीछे-पीछे चल चलाता था
15.
'ज्ञानमार्ग'
एकांकी
के आधार पर उचित प्रस्ताव 2
-
ज्ञान सबकी भलाई के लिए है
-
दूसरों को नुकसान पहुँचानेवाला ज्ञान अज्ञान है
16-17
गद्यांश
के आधार पर उत्तर
16.
मेले
का अनुभवः मित्र के नाम मनु
का पत्र 4
स्थानः................,
तारीखः...............।
प्रिय
अबु,
तुम
कैसे हो? घर
में सब कैसे हैं?
पढ़ाई
कैसी है? मैं
यहाँ ठीक हूँ।
आज
मैं एक मेले में गया। अच्छा
अनुभव था। मैं घोड़े पर वैठा।
कुछ खिलौने खरीदे। मेले में
मनोरंजन के लिए बहुत सी सुविधाएँ
थीं। वहाँ विभिन्न प्रकार के
व्यापार चल रहे थे। खाने के
लिए भी बहुत-सी
चीज़ें थीं। घर वापस आते समय
एक कुत्ते के कारण मैं बहुत
घबराया था।
तुम्हारे
माँ-बाप
को मेरा प्रणाम। छोटे भाई को
प्यार।
तुम्हारा
मित्र,
(हस्ताक्षर)
मनु.
के.पी.
सेवा
में
अबु.
सी.के.,
.................,
.................।
17.
रेखांकित
शब्द का सीधा संबंध 1
जब
मैं मेले में जाता हूँ,
तब मुझे
बहुत खुशी होती है। (उत्तर
मैं)
18.
संबंध
पहचानें और सही मिलान करें। 3
हम तीनों इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि हमने ज्ञान प्राप्त कर लिया है। यब बताते हुए मुझे शर्म आई कि मैं जॉन बेन की एक पश्चिमी फिल्म देख रहा था। सबको यह सीखना चाहिए कि अच्छा इनसान कैसे बन जा सकता है।
19.
बादशाह
अकबर सबकुछ सीखना चाहते हैं।
इसपर बीरबल-
बूढ़ी
महिला वार्तालाप। 4
बीरबलः
शाहंशाह ने सबकुछ सीखने की
इच्छा प्रकट की है।
बूढ़ी
महिलाः वह तो संभव नहीं है।
बीः
वह तो संभव नहीं है। लेकिन
हमें उनको वह समझाना है।
बू.
मः कैसे
समझाएँगे?
बीः
मैं कल विभिन्न प्रकार के काम
करनेवालों को राजमहल में
उपस्थित कराने जा रहा हूँ।
बू.
मः उससे
क्या फायदा है?
बीः
हम उन्हें समझाएँगे कि यहाँ
आए हर व्यक्ति में कुछ-न-कुछ
हुनर और विशेष क्षमता है।
बू.
मः उससे
यह भी समझा सकेंगे कि सबकुछ
सीखना संभव नहीं है।
बीः
उसके लिए मैं आपकी भी सहायता
चाहता हूँ।
बू.
मः ज़रूर
मैं भी तुम्हारी सहायता करूँगी।
(उपस्थित
करानाः ഹാജരാക്കുക फायदाः
പ്രയോജനം ज़रूरः തീര്ച്ചയായും)
ravi. m. ghss
kadannappally, kannur
Saturday, 10 September 2016
IX Hin Qn Aug 2016 Ans
IX
Hin Qn Aug 2016 Ans
1-3
कवितांश
के आधार पर उत्तर
1.
कवितांश
में खुद शब्द स्वयं का
अर्थ देता है। 1
2.
निम्नलिखित
आशयवाली पंक्ति चुनकर
लिखें। 1
जिंदगी
की कठिनाइयों को सहकर आगे
चलना।
उत्तरः
काँटों भरी इस मुश्किल राह
पर चलना।
3.
कविता
का परिचय देते हुए टिप्पणी 4
'माँ
'
नामक
यह कविता माँ के महत्व पर बल
देनेवाली है। हर व्यक्ति को
अपनी माँ सबसे प्यारी होती
है।
रचनाकार
कहते हैं कि हे माँ अगर तुम न
होती तो कठिनाइयों से भरी
मुश्किल राह पर चलना मुझे कौन
सिखाता? मुझे
सुलाने के लिए तुम प्यारी-प्यारी
लोरियाँ सुनाती थीं। अगर तुम
न होती तो मुझे कौन लोरीयाँ
सुनाता? हे
माँ! तुम
सारी रात जागकर मुझे चैन की
नींद देती थी। यदि तुम न होती
तो मुझे इस प्रकार सुलानेवाला
कौन होता है?
मुझे
चलना भी तुमने ही सिखाया था।
हर
व्यक्ति को अपनी जिंदगी में
आगे बढ़ने के लिए सबसे बड़ी
सहायता अपनी माँ से ही मिलती
है। एक बच्चे को अपनी माँ के
बिना जीना बहुत मुश्किल होता
है। लेकिन आज के ज़माने में
बूढ़े माँ-बाप
की ओर ध्यान न देनेवाले लोगों
की संख्या भी कम नहीं है। यह
एक सामाजिक विपत्ति बन गई है।
माँ के महत्व पर बल देलेवाली
यह कविता अच्छी और प्रासंगिक
है।
4.
नौजवान
पक्षी को दीमकों का शौक था।
था का सीधा
संबंध शौक से है। 1
5.
कहानी
में वर्तमान सामाजिक स्थिति
पर व्यंग्य – अपना मत 3
इस
कहानी में जो नौजवान पक्षी
है वह हवा में तैरनेवाले कीड़ों
को छोड़कर गाड़ीवाले से दीमकें
खरीद कर खाता है। उसके लिए उसे
अपने ही पंख को निकालकर देना
पड़ता है। यह पीड़ा सहकर भी
अपना स्वाभाविक भोजन छोड़कर
नकली खाने की ओर आकृष्ट हो रहा
है।
हमारी
अपनी एक खाद्य संस्कृति थी।
हम अपने ही गाँवों में या
क्षेत्रों में पैदा किए जानेवाले
अच्छे फल-मूल,
अनाज-सब्जी
आदि खाया करते थे। लेकिन आज
के लोग, विशेषतः
नवुवक और बच्चे विज्ञापनों
के मोहजाल में पड़कर बाज़ार
से नकली खाना खाने में तत्पर
होते हैं। इस प्रकार के भोजन
में रंग,
स्वाद
आदि नकली होते हैं,
ये हमारे
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
भी हैं। लेकिन उनका कृत्रिम
स्वाद हमें उनकी ओर आकर्षित
करता है। याने हमारे अपने
अच्छे खाद्य पदार्थों को
छोड़कर और किसी विदेशी कंपनियों
की उपजें स्वीकार कर हम अपने
स्वास्थ्य को नष्ट कर रहे हैं।
(नकली
- कृत्रिम,
खाद्य
संस्कृति -
ഭക്ഷണ
സംസ്കാരം,
क्षेत्र
– മേഖല,
अनाज-सब्जी
- ധാന്യങ്ങളും
പച്ചക്കറികളും,
विज्ञापन
– പരസ്യം,
स्वास्थ्य-
ആരോഗ്യം,
हानिकारक
– ദോഷകരം)
6-8
कवितांश
के आधार पर उत्तर
6.
संभावित
आशय चुनें और तालिका की पूर्ति
करें। 2
कंधों से उतर गई मर गई कंधे उतर गए बेसहारे हो गए
7.
वर्तमान
समय में पंक्तियों का
महत्व 2
वर्तमान
समाज में वृद्धजनों की समस्या
एक भयंकर समस्या बन रही है।
वृद्धजनों को पालनेवाले बहुत
से केन्द्र खुले जा रहे हैं।
क्योंकि बेटे-बेटियों
को अपने बूढ़े-माँ-बाप
को देखने का समय नहीं हो रहा
है, मन
नहीं हो रहा है। पहले समाज में
संयुक्त परिवारों की प्रथा
थी। लेकिन आज अणु परिवारों
की प्रथा है। यह परिवर्तन
वृद्धजनों की देखभाल और छोटे
बच्चों की देखभाल में बड़ा
बाधा उत्पन्न कर रहा है। 'पुल
बन थी माँ '
नामक
कविता पाठकों का मन इस समस्या
की ओर आकर्षित करनेवाली एक
कविता है।
(प्रथा:
സമ്പ്രദായം
अणु परिवार:
അണുകുടുംബം
देखभाल:
സംരക്ഷണം
बाधा: തടസ്സം)
8.
पुल
बनी थींं माँ -
कविता
पर टिप्पणी 4
पुल
बनी थी माँ हिंदी के प्रसिद्ध
कवि श्री नरेन्द्र पुंडरीक
की एक अच्छी कविता है। यह कविता
बूढ़े माँ-बाप
के प्रति लोगों के मन में विचार
उठानेवाली है।
कवि
कहते हैं कि माँ,
हम भाइयों
के बीच एक पुल बनी थी। पुल दो
किनारों को जोड़ता है,
संबंध
सुदृढ़ बनाता है। माँ रूपी
पुल के ऊपर हमारी गाड़ी बिना
किसी बाधा से चलती रहती थी।
हमारे सारे कार्यकलाप सुचारू
रूप से चलते रहे। पिताजी की
मृत्यु होने पर माँ हमारे बीच
एक पुल बनी रही। हम भाइयों के
बीच में संबंध बनाए रखने में
माँ ही केन्द्र बिन्दु थी।
लेकिन धीरे-धीरे
माँ का उम्र बढ़ने लगा,
स्वास्थ्य
बिगड़ने लगा,
वह टूटती
रही। हम अनुभव करने लगे कि माँ
बुढ़ा रही है। हमें विभिन्न
कार्य करने के लिए अच्छे-अच्छे
निर्देश माँ देती रही लेकिन
उनकी हर आवाज़ में बूढ़ी होने
की आदत भी दिखाई पड़ने लगी।
वह धीरे-धीरे
टूटती रही। हाथों हाथ रहती
माँ एक दिन हमारे कंधों में
आ गई। माँ हमारी सबकुछ थी,
भाइयों
के बीच पुल बनी थी,
सबको
एकता से रखती थी,
लेकिन
बूढ़ी हो गई माँ हमारे वृषभ
कंधों को भी भारी लगने लगी।
याने अपनी माँ को अपने पास
रखने में हम विमुख होने लगे।
जब तक वह जीवित रही तब तक हम
अपने कंधे बदलते रहे। हम भूल
रहे थे कि माँ आखिर माँ ही तो
है। हमें बार-बार
कंधे बदलते देखकर माँ अंत में
वह हमारे कंधें से उतर गई,
याने
उसकी मृत्यु हुई। उसकी मृत्यु
होते ही हम बेसहारे हो गए।
वर्तमान
समाज में वृद्धजनों की समस्या
एक बड़ी समस्या बन गई है। सबकहीं
वृद्धजनों के लिए भवनों की
संख्या बढ़ते समय यह कविता
बिलकुल अच्छी और प्रासंगिक
है।
(कार्यकलाप:
പ്രവര്ത്തനങ്ങള്
सुचारू रूप से:
നല്ല
രീതിയില് स्वास्थ्य:
ആരോഗ്യം)
9-10गद्यांश
के आधार पर उत्तर
9.
कहानी
के प्रसंग को पटकथा में बदलने
के लिए तालिका भरें 4
स्थान और समय | एक ग्रामीण सड़क। सुबह दस बजे। |
पात्र | एक नौजवान पक्षी जिसके शरीर में पंखों की संख्या बहुत कम है। एक बैलगाड़ी वाला, उसके सिर पर पगड़ी है, लुंगी और गले में एक अंगोछा पहना है। |
दृश्य का विवरण | ग्रामीण सड़क के एक किनारे नौजवान पक्षी एक पेड़ की डाली पर बैठी है। उसके पास दीमकों की एक टोकरी रखी गई है। थोड़ी दूर से एक गाड़ीवाला अपनी गाड़ी चलाते हुए आ रहा है। गाड़ी में दीमकों से भरे बोरे हैं। |
(अंगोछा
: തോര്ത്ത്)
10.
पटकथा
के पात्रों के बीच का संवादः
नौजवान पक्षी और गाड़ीवाला 4
नौजवान
पक्षी:
गाड़ीवाले
ओ गाड़ीवाले। मैं कितने दिनों
से तुम्हारी राह देख रहा हूँ!
गाड़ीवाला:
(गाड़ी
रोकती है)
बताओ
क्या बात है?
नौ.प.:
मैं कुछ
दिनों से तुम्हारा इंतज़ार
कर रहा हूँ।
गा.:
क्यों?
नौ.प.:
मैंने
कई बार तुमसे अपने पंख देकर
दीमकें ली थीं।
गा.:
हाँ,
दीमकें
ली थीं। क्या इस बार दीमकें
नहीं चाहिए?
नौ.प.:
नहीं।
इस बार मैं दीमकें देना चाहता
हूँ।
गा.:
क्यों?
नौ.प.:
क्योंकि
मैं अपने पंख वापस लेना चाहता
हूँ।
गा.:
कैसे?
नौ.प.:
मैं कुछ
दिनों से दीमकें इकट्ठा कर
रहा हूँ। इस प्रकार मेरे पास
कई दीमकें पड़ी हैं।
मैं उन दीमकों को देकर अपने पंख वापस माँग रहा हूँ।
मैं उन दीमकों को देकर अपने पंख वापस माँग रहा हूँ।
गा.:
मूर्ख!
मैं पंख
लेकर दीमकें देता हूँ,
दीमकें
लेकर पंख नहीं।
नौ.प.:
हे भगवान!
यह बड़ा
धोखा हो गया।
गा.:
धोखा
नहीं यार। यह तो सौदा है।
(राह
देखना, इंतज़ार
करना :
പ്രതീക്ഷയോടെയിരിക്കുക
वापस लेना :
തിരിച്ചെടുക്കുക
माँगना :
ആവശ്യപ്പെടുക मूर्ख : വിഡ്ഢി
धोखा : ചതി
यार : ചങ്ങാതി
सौदा : വ്യാപാരം)
11-14
(किन्हीं
तीन के उत्तर लिखें)
11.
गोपू
की डायरी। टीवी देखने चलने
का अनुभव 4
तारीखः....................
आज
में चुन्नी और लल्लू के साथ
टीवी देखने के लिए दूसरे गाँव
गया। पहले हमने प्रतिज्ञा ली
थी कि हम किसी को नहीं बताएँगे।
पहाड़ी रास्ते पर,
पगडंडियों
से होकर हम आगे बढ़े। फिर सड़क
पार करते समय कुछ गड़बड़ी भी
हुई। ड्राइवर से डाँट भी मिली।
चलते-चलते
सब्जी मंडी में लल्लू अप्रत्यक्ष
हो गया। कुछ देर के बाद उससे
मिलने पर मन को बड़ी शांति
मिली। उस गाँव में पहुँचने
पर मनोहर चाचा का घर पहचानना
मुश्किल हो गया। क्योंकि सभी
घरों के ऊपर एंटीना लगे थे।
हम तीनों दुख और निराशा से
रोने लगे। भीड़ जम गई। उन लोगों
में मनोहर चाचा भी थे। उन्होंने
मुझे पहचान लिया। मुझे उठाकर
वे अपने घर चले। इस प्रकार
उनके घर पहुँचे। हम तीनों के
घर में खबर दी गई। लेकिन टीवी
चालू करते ही बिजली चली गई।
हम तीनों बहुत निराश हुए। फिर
पिताजी के साथ घर पहुँचते समय
बड़ी देरी हो गई। आज का दिन
मैं अपनी जिंदगी में कभी नहीं
भूल सकता।
(गड़बड़ी:
കുഴപ്പം
डाँट : ശകാരം
खबर देना :
വിവരം
കൊടുക്കുക देरी होना :
താമസം
നേരിടുക)
12.
पंख
वापस लेने के संबंध में पक्षी
और गाड़ीवाले के
बीच का वार्तालाप 4
बीच का वार्तालाप 4
प्रश्न
10 का
उत्तर देखें।
13.
विश्व
वृद्ध दिवस – पोस्टर 4
अक्तूबर
1
विश्व
वृद्ध दिवस
वृद्ध
जनों कोः
प्यार
की, मान्यता
की,
मदद
की और संरक्षण की ज़रूरत है
वे
हमारे माँ-बाप
या अन्य रिश्तेदार ही हैं
उन्हें
हमारे साथ ही रखें।
बूढ़ें
वृद्ध जनों को 'वृद्ध
सदनों' में
न छोड़ें।
(मान्यता
- അംഗീകാരം
मदद - സഹായം
रिश्तेदार -
ബന്ധുക്കള്)
14.
संशोधन
करके लिखें। 3
एक
गाँ में एक बूढ़ी औरत रहती
है। उसके दो बच्चे हैं।
15.
संबंध
पहचानें और सही मिलान करें। 3
ग़ालिब मैं उर्दू कविता लिखता हूँ पक्षी मैं खुद दीमकें ढूँढूँगा। चुन्नी मैं कसम खाती हूँ।
Ravi.
M., GHSS, Kadannappally, Kannur. 9446427497
Friday, 9 September 2016
X Hindi Aug 2016 Sample Answers
सूचनाः कविता पढ़ें और 1 से 3 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
1. सही प्रस्ताव चुनकर लिखें। 1
मकसद की याद दिलानेवाले सपनों को पालना है।
2. यह आशयवाली दो पंक्तियाँ चुनकर लिखें । 2
हमें निंद तोड़नेवाले सपनों को पालना है ।
हम उन सपनों को पालेंगे
जो नींद चुरा ले जाते है ।
3. कविता पर टिप्पणी 4
'हम उन सपनों को पालेंगे' नामक छोटी कविता में रचनाकार कहते हैं कि हमें जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए 'अच्छे सपने देखने' हैं। 'सपना देखना' एक शैली है। इसका मतलब परंपरागत अर्थ से बिलकुल भिन्न है।
सपना हम प्रायः सोते वक्त देखते हैं। लेकिन वह तो सार्थक होने की संभावना बहुत कम है। लेकिन 'सपना देखना' एक शैली बन जाए तो मतलब है जिंदगी में अच्छे पद पर पहुँचने के लिए या अच्छे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ना। डॉ. कलाम ने कहा था कि सपने वे नहीं हैं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, सपने वे हैं जिसके लिए हम नींद छोड़ देते हैं। सपने हमारी नींद चुरा ले जाएँ, मन में बेचैनी लाएँ, जो हमें सदा हमारा लक्ष्य याद कराएँ, हमारे मन में ज्याति जगाएँ। याने यहाँ सपना देखना एक काल्पनिक बात नहीं। जिंदगी में अच्छे परिणाम के लिए, अच्छे लक्ष्यों को साकार कराने के लिए परिश्रम होते हैं वे ही सही सपने हैं।
समाज में बहुत से लोग आलसी और लक्ष्यहीन हैं। ऐसी हालत में पाठकों को, विशेषतः बच्चों और युवकों को अच्छे सपने देखने का उपदेश देनेवाली यह कविता बहुत अच्छी और प्रासंगिक है।
(सोते वक्त : सोते समय, संभावना : സാധ്യത बेचैनी : अशांति, याद कराना : ഓര്മ്മപ്പെടുത്തുക, काल्पनिक : സാങ്കല്പികമായ, साकार करना : സാക്ഷാല്ക്കരിക്കുക)
सूचनाः प्रश्न 4-6 गद्यांश के आधार पर उत्तर लिखें।
4. बेला और साहिल दोनों पाँचवीं कक्षा में पढ़नेवाले दो छात्र हैं। दोनों अच्छे मित्र हैं। वे एकसाथ स्कूल जाते हैं और रास्ते में खेतों में बीरबहूटियों को ढूँढते हैं। कक्षा में हैं तो साहिल जो करता है वही बेला भी करती है। कविता पढ़ते समय, पानी पीने जाते समय आदि विभिन्न कार्य वे एकसाथ करते हैं। वे एक दूसरे की कॉपी में चित्र बनाते थे। पाँचवीं का रिज़ल्ट आने पर दोनों बहुत दुखी होते हैं, आँखें डबड़बाती हैं क्योंकि छठी कक्षा में दोनों अलग-अलग स्कूलों में पढ़नेवाले हैं।
6. गद्यांश पर पटकथा 4
फुलेरा कस्बे की एक गली। पूर्वाह्न 11 बजे।
एक लड़का और लड़की। दोनों 10-11 साल के हैं, स्कूली यूनिफार्म में हैं। गली की एक ओर छाया में दोनों खड़े हैं।
बेलाः साहिल, हम दोनों पाँचवीं पास हो गये हैं। हैं न?
साहिलः हाँ बेला। हम दोनों अगले साल छठी कक्षा में पढ़ेंगे।
बेलाः साहिल, अगले साल तुम कहाँ पढ़ोगे?
साहिलः तुम कहाँ पढ़ोगी?
बेलाः मेरे पापा कह रहे थे कि मुझे राजकीय कन्या पाठशाला में पढ़ाएँगे। और तुम?
साहिलः मुझे अगले साल अजमेर भेज देंगे। वहाँ एक हॉस्टल है, घर से दूर वहाँ अकेला रहूँगा।
बेलाः क्यों साहिल?
साहिलः पता नहीं क्यों।
7. कवि के अनुसार अक्षौहिणी सेना को अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु का पुत्र अभिमन्यु चुनौती देगा। 1
8. पंक्तियों की प्रासंगिकता 4
हिंदी के मशहूर कवि धर्मवीर भारती की कविता टूटा पहिया में लघुमानव की प्रधानता पर बल दिया गया है। अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती देते हुए चक्रव्यूह में प्रवेश किए दुस्साहसी अभिमन्यु का, कौरव सेना के महारथियों ने मिलकर सामना किया। उसे निरायुध बना दिया, रथ, सारथी, घोड़े आदि नष्ट कर दिए गए। ऐसे अवसर पर अभिमन्यु रणक्षेत्र में अकेला और निरायुध बन जाता है। निराश्रय अभिमन्यु एक टूटे पहिए की सहायता से दुश्मनों का सामना करता है। याने एक टूटा हुआ पहिया भी कभी-कभी बड़ी किसी को सहायता दे सकता है, बड़ी भूमिका निभा सकता है। इस प्रकार एक लघु मानव भी कभी-कभी क्रांति का वाहक तक बन जा सकता है। कवि सभीको याद दिलाता है कि लघु मानवों की भी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
(सामना करना : നേരിടുക भूमिका निभाना : സ്ഥാനം വഹിക്കുക क्रांति का वाहक : വിപ്ലവവാഹകന് उपेक्षा करना : അവഗണിക്കുക)
सूचनाः प्रश्न 9-11 गद्यांश के आधार पर
9. प्रस्तुत प्रसंग में दम निकल जाना का मतलब है थक जाना। 1
10. जटायु की हालत ऐसी थी। जटायु का हाल ऐसा था। 1
11. जटायु की डायरी 4
तारीखः.................
स्थानः..................
आज मैं फेलू और तोपसे के साथ जैसलमेर जा रहा था। पता नहीं किसका षड्यंत्र था हमारी गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। हमें तो आठ मील दूर रामदेवरा स्टेशन पहुँचना था। थोड़ी देर के बाद ऊँटों का एक दल आता दिखाई पड़ा। फेलू ने कहा कि ऊँटों से स्टेशन तक जाएँगे। ऊँटों पर चढ़ने की इच्छा था लेकिन उस जानवर को सामने पाकर डर लगा। वाप रे! क्या जानवर है! नशेड़ियों की तरह अधखुली और मदहोश आँखें, ऊबड़-खाबड़ कुदाल जैसे दाँत, लटके हुए होंठ उलटकर न जाने क्या चबाते रहते हैं। फेलू और तोपसे जल्दी ही उनपर चढ़े। लेकिन मैं जल्दी चढ़ नहीं पाया। ऊँटों पर हिंडोला खाते हुए चलते समय रेलगाड़ी आती हुई दिखाई दी। पटरी के पास तेज़ चलकर गाड़ी को रोकने के लिए रूमाल हिलाया। लेकिन गाड़ी तो बिना रुके चली गई। फिर रामदेवरा तक ऊँटों पर चलकर ही पहुँच गए। आज की यात्रा एक विचित्र अनुभव था।
(षड्यंत्र : ഗൂഢാലോചന)
12-14 गद्यांश के आधार पर उत्तर
12. छत से गिरने के कारण बेला के सिर पर चोट लगी थी। अतः सिर में पट्टी बँधवाने के लिए वह अस्पताल आयी। 1
13. इमली की डाली पकड़कर झूलते समय स्टूल पर गिरने से साहिल की पिंडली में स्टूल की कील से चोट लगी। उसे पट्टी बँधवाने के लिए वह अस्पताल ले जाया गया। 2
14. बेला-साहिल वार्तालाप 4
साहिलः बेला क्यों आई हो?
बेलाः मेरे सिर पर पट्टी बँधवाने के लिए।
साः ठीक नहीं हुआ?
बेः नहीं। और 4-5 दिन लगेंगे। तुम क्यों आए?
साः मेरी पिंडली में चोट लगी है।
बेः कैसे?
साः इमली की डाली पकड़कर झूम रहा था। स्टूल पर गिरा। बेला, यह मेरे पिताजी है।
तुम्हारे साथ कौन है?
(अपने पिताजी से) पापा, यह बेला, मेरी सहपाठी है।
साहिल के पिताजीः कैसी हो बेटा?
बेः जी मैं ठीक हूँ।
साः तुम्हारे साथ कौन आए हैं?
बेः मेरे साथ पिताजी हैं, फार्मसी से दवाएँ ले रहे हैं।
साः तुम कल स्कूल नहीं आओगी?
बेः ज़रूर आऊँगी। तुम्हारी चोट ठीक होने में कितने दिन लगेंगे?
साः पता नहीं। लगता है जल्दी ठीक हो जाएगी। कुछ दिन तक गोलियाँ भी हैं। तो कल मिलेंगे बेला।
बेः ठीक है। (गोलियाँ : ഗുളികകള്)
15-16 कवितांश के आधार पर उत्तर
15. कवि व्यक्ति की हताशा को जानता था। 1
16. कवितांश के आधार पर व्याख्या 4
विनोदकुमार शुक्ल की कविता हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था के अनुसार एक व्यक्ति को जानने का मतलब उस व्यक्ति के नाम, पता, उम्र, ओहदा आदि से जानना नहीं। सही जानना यह है कि किसी व्यक्ति को उसकी हताशा, निराशा, असहायता या उसके संकट से जानना। किसी मुसीबत में पड़े व्यक्ति को हम उसके नाम, पता, उम्र, जाति, ओहदा, धर्म आदि जानकर उसे बचाने का प्रयास नहीं करेंगे। लेकिन हम यह जानते हैं कि उस व्यक्ति को हमारी मदद की ज़रूरत होती है। तब उसकी सहायता करना हमारा दायित्व होता है। उसके प्रति अनुताप प्रकट करना होता है। ऐसे एक व्यक्ति को हाथ देकर उसे उठने में सहायता करना, कंधा देकर साथ-साथ चलना या सांत्वना देना आदि अत्यंत आवश्यक होता है। तब उस हताश व्यक्ति को बहुत बड़ा आराम मिलता है। कभी-कभी हताशा के कारण लोग आत्महत्या तक करते हैं। ऐसा व्यक्ति सही समय पर हमारी सहायता मिलने पर जिंदगी की ओर वापस आ जाता है। याने यहाँ उसकी हताशा, निराशा, असहायता या उसके संकट से नहीं जानते तो हम कुछ नहीं जानते। याने दो मनुष्यों के बीच मनुष्यता का अहसास यानी मानवीय संवेदना होना ज़रूरी है।
1. सही प्रस्ताव चुनकर लिखें। 1
मकसद की याद दिलानेवाले सपनों को पालना है।
2. यह आशयवाली दो पंक्तियाँ चुनकर लिखें । 2
हमें निंद तोड़नेवाले सपनों को पालना है ।
हम उन सपनों को पालेंगे
जो नींद चुरा ले जाते है ।
3. कविता पर टिप्पणी 4
'हम उन सपनों को पालेंगे' नामक छोटी कविता में रचनाकार कहते हैं कि हमें जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए 'अच्छे सपने देखने' हैं। 'सपना देखना' एक शैली है। इसका मतलब परंपरागत अर्थ से बिलकुल भिन्न है।
सपना हम प्रायः सोते वक्त देखते हैं। लेकिन वह तो सार्थक होने की संभावना बहुत कम है। लेकिन 'सपना देखना' एक शैली बन जाए तो मतलब है जिंदगी में अच्छे पद पर पहुँचने के लिए या अच्छे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ना। डॉ. कलाम ने कहा था कि सपने वे नहीं हैं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, सपने वे हैं जिसके लिए हम नींद छोड़ देते हैं। सपने हमारी नींद चुरा ले जाएँ, मन में बेचैनी लाएँ, जो हमें सदा हमारा लक्ष्य याद कराएँ, हमारे मन में ज्याति जगाएँ। याने यहाँ सपना देखना एक काल्पनिक बात नहीं। जिंदगी में अच्छे परिणाम के लिए, अच्छे लक्ष्यों को साकार कराने के लिए परिश्रम होते हैं वे ही सही सपने हैं।
समाज में बहुत से लोग आलसी और लक्ष्यहीन हैं। ऐसी हालत में पाठकों को, विशेषतः बच्चों और युवकों को अच्छे सपने देखने का उपदेश देनेवाली यह कविता बहुत अच्छी और प्रासंगिक है।
(सोते वक्त : सोते समय, संभावना : സാധ്യത बेचैनी : अशांति, याद कराना : ഓര്മ്മപ്പെടുത്തുക, काल्पनिक : സാങ്കല്പികമായ, साकार करना : സാക്ഷാല്ക്കരിക്കുക)
सूचनाः प्रश्न 4-6 गद्यांश के आधार पर उत्तर लिखें।
4. बेला और साहिल दोनों पाँचवीं कक्षा में पढ़नेवाले दो छात्र हैं। दोनों अच्छे मित्र हैं। वे एकसाथ स्कूल जाते हैं और रास्ते में खेतों में बीरबहूटियों को ढूँढते हैं। कक्षा में हैं तो साहिल जो करता है वही बेला भी करती है। कविता पढ़ते समय, पानी पीने जाते समय आदि विभिन्न कार्य वे एकसाथ करते हैं। वे एक दूसरे की कॉपी में चित्र बनाते थे। पाँचवीं का रिज़ल्ट आने पर दोनों बहुत दुखी होते हैं, आँखें डबड़बाती हैं क्योंकि छठी कक्षा में दोनों अलग-अलग स्कूलों में पढ़नेवाले हैं।
6. गद्यांश पर पटकथा 4
फुलेरा कस्बे की एक गली। पूर्वाह्न 11 बजे।
एक लड़का और लड़की। दोनों 10-11 साल के हैं, स्कूली यूनिफार्म में हैं। गली की एक ओर छाया में दोनों खड़े हैं।
बेलाः साहिल, हम दोनों पाँचवीं पास हो गये हैं। हैं न?
साहिलः हाँ बेला। हम दोनों अगले साल छठी कक्षा में पढ़ेंगे।
बेलाः साहिल, अगले साल तुम कहाँ पढ़ोगे?
साहिलः तुम कहाँ पढ़ोगी?
बेलाः मेरे पापा कह रहे थे कि मुझे राजकीय कन्या पाठशाला में पढ़ाएँगे। और तुम?
साहिलः मुझे अगले साल अजमेर भेज देंगे। वहाँ एक हॉस्टल है, घर से दूर वहाँ अकेला रहूँगा।
बेलाः क्यों साहिल?
साहिलः पता नहीं क्यों।
7. कवि के अनुसार अक्षौहिणी सेना को अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु का पुत्र अभिमन्यु चुनौती देगा। 1
8. पंक्तियों की प्रासंगिकता 4
हिंदी के मशहूर कवि धर्मवीर भारती की कविता टूटा पहिया में लघुमानव की प्रधानता पर बल दिया गया है। अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती देते हुए चक्रव्यूह में प्रवेश किए दुस्साहसी अभिमन्यु का, कौरव सेना के महारथियों ने मिलकर सामना किया। उसे निरायुध बना दिया, रथ, सारथी, घोड़े आदि नष्ट कर दिए गए। ऐसे अवसर पर अभिमन्यु रणक्षेत्र में अकेला और निरायुध बन जाता है। निराश्रय अभिमन्यु एक टूटे पहिए की सहायता से दुश्मनों का सामना करता है। याने एक टूटा हुआ पहिया भी कभी-कभी बड़ी किसी को सहायता दे सकता है, बड़ी भूमिका निभा सकता है। इस प्रकार एक लघु मानव भी कभी-कभी क्रांति का वाहक तक बन जा सकता है। कवि सभीको याद दिलाता है कि लघु मानवों की भी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
(सामना करना : നേരിടുക भूमिका निभाना : സ്ഥാനം വഹിക്കുക क्रांति का वाहक : വിപ്ലവവാഹകന് उपेक्षा करना : അവഗണിക്കുക)
सूचनाः प्रश्न 9-11 गद्यांश के आधार पर
9. प्रस्तुत प्रसंग में दम निकल जाना का मतलब है थक जाना। 1
10. जटायु की हालत ऐसी थी। जटायु का हाल ऐसा था। 1
11. जटायु की डायरी 4
तारीखः.................
स्थानः..................
आज मैं फेलू और तोपसे के साथ जैसलमेर जा रहा था। पता नहीं किसका षड्यंत्र था हमारी गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। हमें तो आठ मील दूर रामदेवरा स्टेशन पहुँचना था। थोड़ी देर के बाद ऊँटों का एक दल आता दिखाई पड़ा। फेलू ने कहा कि ऊँटों से स्टेशन तक जाएँगे। ऊँटों पर चढ़ने की इच्छा था लेकिन उस जानवर को सामने पाकर डर लगा। वाप रे! क्या जानवर है! नशेड़ियों की तरह अधखुली और मदहोश आँखें, ऊबड़-खाबड़ कुदाल जैसे दाँत, लटके हुए होंठ उलटकर न जाने क्या चबाते रहते हैं। फेलू और तोपसे जल्दी ही उनपर चढ़े। लेकिन मैं जल्दी चढ़ नहीं पाया। ऊँटों पर हिंडोला खाते हुए चलते समय रेलगाड़ी आती हुई दिखाई दी। पटरी के पास तेज़ चलकर गाड़ी को रोकने के लिए रूमाल हिलाया। लेकिन गाड़ी तो बिना रुके चली गई। फिर रामदेवरा तक ऊँटों पर चलकर ही पहुँच गए। आज की यात्रा एक विचित्र अनुभव था।
(षड्यंत्र : ഗൂഢാലോചന)
12-14 गद्यांश के आधार पर उत्तर
12. छत से गिरने के कारण बेला के सिर पर चोट लगी थी। अतः सिर में पट्टी बँधवाने के लिए वह अस्पताल आयी। 1
13. इमली की डाली पकड़कर झूलते समय स्टूल पर गिरने से साहिल की पिंडली में स्टूल की कील से चोट लगी। उसे पट्टी बँधवाने के लिए वह अस्पताल ले जाया गया। 2
14. बेला-साहिल वार्तालाप 4
साहिलः बेला क्यों आई हो?
बेलाः मेरे सिर पर पट्टी बँधवाने के लिए।
साः ठीक नहीं हुआ?
बेः नहीं। और 4-5 दिन लगेंगे। तुम क्यों आए?
साः मेरी पिंडली में चोट लगी है।
बेः कैसे?
साः इमली की डाली पकड़कर झूम रहा था। स्टूल पर गिरा। बेला, यह मेरे पिताजी है।
तुम्हारे साथ कौन है?
(अपने पिताजी से) पापा, यह बेला, मेरी सहपाठी है।
साहिल के पिताजीः कैसी हो बेटा?
बेः जी मैं ठीक हूँ।
साः तुम्हारे साथ कौन आए हैं?
बेः मेरे साथ पिताजी हैं, फार्मसी से दवाएँ ले रहे हैं।
साः तुम कल स्कूल नहीं आओगी?
बेः ज़रूर आऊँगी। तुम्हारी चोट ठीक होने में कितने दिन लगेंगे?
साः पता नहीं। लगता है जल्दी ठीक हो जाएगी। कुछ दिन तक गोलियाँ भी हैं। तो कल मिलेंगे बेला।
बेः ठीक है। (गोलियाँ : ഗുളികകള്)
15-16 कवितांश के आधार पर उत्तर
15. कवि व्यक्ति की हताशा को जानता था। 1
16. कवितांश के आधार पर व्याख्या 4
विनोदकुमार शुक्ल की कविता हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था के अनुसार एक व्यक्ति को जानने का मतलब उस व्यक्ति के नाम, पता, उम्र, ओहदा आदि से जानना नहीं। सही जानना यह है कि किसी व्यक्ति को उसकी हताशा, निराशा, असहायता या उसके संकट से जानना। किसी मुसीबत में पड़े व्यक्ति को हम उसके नाम, पता, उम्र, जाति, ओहदा, धर्म आदि जानकर उसे बचाने का प्रयास नहीं करेंगे। लेकिन हम यह जानते हैं कि उस व्यक्ति को हमारी मदद की ज़रूरत होती है। तब उसकी सहायता करना हमारा दायित्व होता है। उसके प्रति अनुताप प्रकट करना होता है। ऐसे एक व्यक्ति को हाथ देकर उसे उठने में सहायता करना, कंधा देकर साथ-साथ चलना या सांत्वना देना आदि अत्यंत आवश्यक होता है। तब उस हताश व्यक्ति को बहुत बड़ा आराम मिलता है। कभी-कभी हताशा के कारण लोग आत्महत्या तक करते हैं। ऐसा व्यक्ति सही समय पर हमारी सहायता मिलने पर जिंदगी की ओर वापस आ जाता है। याने यहाँ उसकी हताशा, निराशा, असहायता या उसके संकट से नहीं जानते तो हम कुछ नहीं जानते। याने दो मनुष्यों के बीच मनुष्यता का अहसास यानी मानवीय संवेदना होना ज़रूरी है।
7.
संबंध
पहचानकर सही मिलान 3
-
एक दूसरे के बहुत नज़दीक
रहकर
बल्कि कहना चाहिए कि बिलकुल सटकर बीरबहूटियाँ खोजते थे।
यह व्यक्ति मुसीबत में है
और हमारी मदद की ज़रूरत है
ऊँट देखकर हमें हँसी-सी
आती है
लेकिन उनको (राजस्थान वालों को) नहीं।
Ravi.
M., GHSS, Kadannappally, Kannur.
Subscribe to:
Posts (Atom)